श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर डालमियानगर के प्रांगण में चल रहे 68 वें हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ के 10 वें दिन उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से आईं महान संत एवं प्रवचन कर्ता सुश्री अनुप्रिया पांडेेय ने भगवान राम जानकी विवाह प्रसंग पर प्रवचन में बताया कि भगवान शिव के द्वारा दिए गए शिव धनुष को तोड़ने के बाद ही मां जानकी का विवाह भगवान राम से होने को लेकर स्वयंबर का आयोजन किया गया था।
इस स्वयंवर में लंकापति रावण के अलावा अन्य देशों के राजाओं ने भी भाग लिया था। धनुष तोड़ने की कोशिश भी की परंतु धनुष किसी से हिला तक नहीं। विश्वामित्र ने अपने शिष्य राम को शिव के धनुष को तोड़ने का आदेश दिया। भगवान राम ने धनुष को उठाया और एक झटके में धनुष को तोड़ दिया।
राम, लक्ष्मण सीता बने कलाकारों ने सीता स्वयंवर का किया मंचन: मंचित सीता स्वयंवर में शहर के कलाकारों ने रंगमंच से राम सीता विवाह के साथ धनुष तोड़ने की परंपरा का मंचन किया जो आकर्षण का केंद्र रहा। कलाकारों ने खूबसूरत कला का प्रदर्शन करते हुए खूबसूरत तरीके से प्रदर्शित किया। प्रवचन स्थल पर रतु बिघा के राम बनी गुनगुन कुमारी,लक्ष्मण बनी सलोनी कुमारी तथा माता जानकी बनी भारती कुमारी सहित राजा जनक के किरदार में रामसूरत पांडेय जैसे कलाकारों ने धनुष तोड़ने, सीता स्वयंवर, सीता राम विवाह का मंचन किया।
इस मंचन के द्वारा भगवान राम और लक्ष्मण स्वयंवर में पहुंचे और सभी राजाओं के द्वारा असफल होने के बाद अपने गुरु के आदेश पर शिव के धनुष को तोड़ा। जय श्रीराम के नारे से पूरा यज्ञ स्थल गूंज उठा। जनक नंदिनी सीता ने प्रभु श्री राम को वरमाला पहनाया।
माता सीता की योग्यता के अनुरूप पिता ने वर चुनने के लिए स्वयंवर कराया
स्वयंवर का जिक्र करते हुए अनुप्रिया पांडेय ने बताया कि महल में रखे भगवान शिव के धनुष को सीता एक स्थान से उठा का दूसरे स्थान पर रख देती थीं। राजा जनक को इसका पता चलता है तब वे प्रतिज्ञा करते हैं कि जो योद्धा इस धनुष को तोड़ेगा उसी से सीता का विवाह होगा। सीता स्वयंवर आयोजन होता है तो अनेक जगहों से योद्धा आते हैं।
निमंत्रण न मिलने से आक्रोशित लंकापति रावण भी आते हैं और राजा जनक के सामने नाराजगी जाहिर करते हैं। लेकिन धनुष को नहीं तोड़ पाते हैं। स्वयंवर में आया कोई भी योद्धा भगवान शिव के धनुष को तोड़ना तो दूर हिला भी नहीं पाता।दसीयों हजार योद्धा स्वयंवर में अपनी क्षमता असफल होने पर लज्जित हुए और उन्हें अपनी क्षमता का अहसास हुआ।
धनुष टूटते ही एक पिता की चिंता दूर हुई
राजा जनक चिंतित हो कर कहने लगे की एक भी योद्धा नहीं है जो धनुष तोड़ सके। यह धरती वीर योद्धा विहीन हो गया है। तब लक्ष्मण क्रोधित हो कहते हैं कि मैं इस धनुष को एक झटके में तोड़ दूंगा। यह धरती वीरों से भरी हुई है। यहां श्री राम भी उपस्थित हैं। प्रभु श्री राम ऋषि विश्वामित्र के चरण स्पर्श कर धनुष तोड़ने की अनुमति लेते हैं।
शिव के धनुष को प्रभु श्री राम फूलों की माला की तरह उठाकर तोड़ देते हैं तब सीता उनके गले में वरमाला डालती हैं। शिव के धनुष के टूटने की आवाज सुनकर परशुराम क्रोधित होकर स्वयंवर में पहुंचते हैं। लक्ष्मण एवं अन्य के द्वारा परिचय देने के बाद समझ जाते हैं वह विष्णु अवतार भगवान श्रीराम हैं। कलाकारों के द्वारा भगवान राम लक्ष्मण सीता का आकर्षक लीला को देखकर दर्शक भाव विभोर हो झूमने को मजबूर हुए।
22 अप्रैल को पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का होगा प्रवचन
मानस विदुषी ने कहा कि कलयुग में राम कथा ही प्राणी मात्र को सभी कष्टों से दूर रखेगा। हरि कथा और सत्संग ही संसार में व्याप्त माया से आपको बचाती है। उन्होंने कहा कि “राम का चरित्र स्वयं ही काव्य है। कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य है। श्री हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ में 22 अप्रैल को पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय जी महाराज एवं संत महात्माओं एवं विद्वान व्यास के द्वारा प्रवचन किया जाएगा। मौके पर प्रफुल्ल कुमार सिंह, केश्वर सिंह, बृजमोहन सिंह, संजय कुमार सिंह, आर के सिंह, मानसिंह ,नरेंद्र सिंह, संतोष सिंह, नागेश्वर सिंह, शांति कुमारी ,सोना झारो देवी ,मानवी प्रकाश, कुंदन कुमार आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।
ऊं शिव शक्ति मंदिर में हुआ वाद्य यंत्र पर सुंदरकांड पाठ
शहर के बारह पत्थर मोहल्ले में स्थित ऊं शिव शक्ति मंदिर में शनिवार को सुंदरकांड पाठ का आयोजन हुआ। भगवान श्री हनुमान की भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं ने वाद्ययंत्रों की मनोहारी दृश्य में सुंदरकांड पाठ किया। सुंदरकांड पाठ की शुरुआत अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन शाखा डेहरी डालमियानगर के अध्यक्ष पवन झुनझुनवाला और उनकी धर्मपत्नी मीना झुनझुनवाला के विद्वत हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना के बाद हुई।
बनारस से आए सुंदरकांड पाठ के गायक संतोष दुबे एवं आरती चौबे द्वारा सुंदरकांड पाठ की शुरुआत की गयी। सुंदरकांड पाठ की ध्वनि कानों में पहुंचते ही राम भक्त व हनुमान भक्त मंदिर की ओर चल दिए। देखते ही देखते मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई। सभी श्रद्धालु मंदिर परिसर में बैठकर सुंदरकांड का संगीतमय पाठ सुनने लगे। भगवान श्री राम के जयकारे लगाए गए और यह सुंदरकांड पाठ सुबह से लेकर देर शाम तक चलते रहा।
पाठ के बाद भगवान का भोग लगा कर आरती की गयी और भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया। सुंदरकांड पाठ में इंद्रजीत पाठक, प्रभु तिवारी, सोनल तिवारी, पप्पू पाठक, बलदेव तिवारी, पारस तिवारी, ओंकार नाथ दुबे, सागर पाठक, सुनील पाठक, अनुरोध दुबे, सुनील तिवारी, नवनीत तिवारी, शिवम पांडेय, रविंद्र पांडेय आदि ने संगीतमय सुंदर पाठ किया। वहीं भक्तों में संत शर्मा, वेद शर्मा, श्रवण कुमार अटल, गुड्डू चंद्रवंशी, प्रेम कुमार, विक्की अग्रवाल, प्रभु पांडेय आदि भक्तगण शामिल हुए।
डेहरी में बजरंग दल ने धूमधाम से मनाया हनुमान जयंती समारोह
अनुमंडल क्षेत्र में धूमधाम के साथ हनुमान जन्म उत्सव मनाया गया। शनिवार की सुबह से ही शहर के विभिन्न हनुमान मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। शहर के लोग बड़े ही श्रद्धा भाव से पवन पुत्र हनुमान का विधिवत पूजा अर्चना किया। इस मौके पर डेहरी बाजार स्थित हनुमान मानस मंदिर में हनुमान चालीसा पाठ किया गया। बजरंग दल के द्वारा हनुमान जन्म उत्सव नगर संयोजक दीपक दास के नेतृत्व में डेहरी बाजार हनुमान मानस मंदिर मे पूजा अर्चना कर 11 बार हनुमान चालीसा पाठ के बाद “श्रीराम जय राम जय जय राम” विजय माहा मंत्र सभी कार्यकर्ताओं के साथ किया गया।